लेखनी कविता - नाम बड़े दर्शन छोटे - काका हाथरसी

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 नाम बड़े दर्शन छोटे / काका हाथरसी  नाम-रूप के भेद पर कभी किया है गौर? नाम मिला कुछ और तो, शक्ल-अक्ल कुछ और।  शक्ल-अक्ल कुछ और, नैनसुख देखे काने, बाबू सुंदरलाल ...

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